Religion, state and literature necessary for the growth of society - Advocate Pandit Rathod

 

Religion, state and literature necessary for the growth of society - Advocate Pandit Rathod

मुंबई। यदि समाज का सही मायने में विकास करना है तो उसके लिए धर्मसत्ता , राजसत्ता तथा साहित्यसत्ता का होना जरुरी है बिना इसके समाज का विकास नहीं किया जा सकता है ,यह मानना है बंजारा समाज के युवा नेता एडवोकेट पंडित राठोड का। पंडित राठोड पिछले काफी अरसे से बंजारा समाज के विकास के लिए कार्य कर रहें हैं जिसके चलते उन्हें कई तरह के अनुभव मिले हैं।

एडवोकेट पंडित राठोड ने बताया कि वे जिस समाज का नेतृत्व कर रहें हैं उस समाज को कई तरह की चुनौतियों का सामना आजादी के वर्षों बाद भी करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि बंजारा समाज की बड़ी आबादी आज भी आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं जिसकी वजह से न तो शैक्षणिक विकास हुआ है और न ही सामजिक विकास हो रहा है जिसकी वजह से साहित्यिक विकास भी रुका हुआ है। पंडित राठोड ने बताया कि बंजारा समाज के लोग आज भी ऐसे गांव में रहने के लिए विवश हैं जहाँ पर विकास के नाम पर कार्य नहीं किए गए हैं। गांवों में आज भी शिक्षा के साधन उपलब्ध नहीं है जिसके चलते बड़ी संख्या में बंजारा समाज के लोग उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।

पंडित राठोड का कहना है कि बंजारा समाज के युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो इसके लिए भी सरकार की तरफ से कोई खास योजनाएं नहीं चल रहीं हैं और यदि कोई योजना चल भी रही होती है तो वह बंजारा समाज के युवकों तक पहुँच नहीं पाती है जिसकी वजह से वे योजनाओं का लाभ नहीं उठा पातें हैं। उन्होंने बताया कि वे पिछले काफी समय से सरकार के साथ  समन्वय बनाकर युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का कार्य कर रहें हैं।

पंडित राठोड का मानना है कि यदि सही मायने में इस समाज का विकास करना है तो सबसे पहले बंजारा समाज को शैक्षणिक स्तर पर मजबूत करने की जरुरत है और शैक्षणिक स्तर को मजबूत तब बनाया जा सकेगा जब उनके लिए सरकार द्वारा शिक्षा के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वे इसके लिए लम्बे समय से प्रयास भी कर रहें हैं।

पंडित राठोड का कहना है कि समाज के लोग जब शिक्षित होंगे तभी अपने साहित्य का सृजन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह सबसे बड़े दुःख की बात है कि बंजारा समाज के लोग अशिक्षित होने की वजह से अपने साहित्य का सृजन नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में बंजारा समाज अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हुआ है और शिक्षित भी हो रहा है और आगे भी बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद समाज के शिक्षित होने का प्रतिशत जिस तरह से होना चहिये था वह नहीं हुआ।

उन्होंने बताया कि जहाँ एक तरफ सरकार से समन्वय बनाकर बंजारा समाज के लिए सविधाएँ देने की मांग की जा रही है वहीँ दूसरी तरफ बंजारा समाज के लोगों को भी जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया की इस कार्य में काफी हद तक उन्हें सफलता भी मिल रही है बंजारा समाज के लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रहें हैं साथ ही रोजगार की तरफ आगे भी बढ़ रहें हैं।

पंडित राठोड का मानना है कि बंजारा समाज सौ प्रतिशत शिक्षित हो साथ ही आर्थिक रूप से संपन्न हो सके इसके लिए सरकार  को भविष्य में कई तरह की योजनाएं बनानी होंगी ताकि यह समाज भी अन्य समाज की तरह विकास के पथ पर अग्रसर हो सके।

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